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तलपट क्या है | ट्रायल बैलेंस क्या है (What is Trial Balance) | Trading and Profit & Loss A/c क्या होता है तथा Trial Balance के आधार पर इसे कैसे बनाते हैं? | Balance sheet kya hota hai example | बैलेंस शीट बनाने का तरीका | बैलेंस शीट फॉर्मेट इन हिंदी | बैलेंस शीट की परिभाषा

Mr Dhananjay
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तलपट क्या है | ट्रायल बैलेंस क्या है (What is Trial Balance) |


ट्रायल बैलेंस लेजर के सभी Accounts से ज्ञात किए गए डेबिट तथा क्रेडिट पक्षों के योग के पश्चात् निकाले गए अंतर की एक सूची है।

तलपट के उद्देश्य :- ट्रायल बैलेंस की आवश्यकता मुख्यतया दो कारणों से होती है -

  1. कई बार ऐसा होता है कि हम अपने व्यवसाय का अध्ययन करने के लिए सभी खातों की स्थिति एक साथ देखना चाहते हैं यानी हमारे जितने भी Accounts है उनका जो भी Debit या Credit balance है वह हम एक साथ, एक स्थान पर देखना चाहते हैं।
  2. जैसा कि हम जानते हैं डबल एंट्री सिस्टम के सिद्धांतों के अनुसार प्रत्येक ट्रांजैक्शन की दो जगह एंट्री की जाती है - एक डेबिट पक्ष में दूसरी क्रेडिट पक्ष में । दोनों पक्षों में लिखी जाने वाली रकम एक ही होती है।

अब यदि हम यह जानना चाहते हैं कि हमने डबल एंट्री सिस्टम की सहायता से जो जर्नल तैयार किया है उसमें या लेजर में जो पोस्टिंग की है उसमें कोई ग़लती तो नहीं हुई है, तो इसके लिए किसी एक स्थान पर, सभी खातों के जो भी बैलेंस हैं, जैसे यदि खाते का डेबिट बैलेंस है तो उसे डेबिट साइड में और यदि खाते का क्रेडिट बैलेंस है उसको क्रेडिट साइड में लिख लेंगे।

Note:- लिखने के बाद डेबिट और क्रेडिट साइड के दोनों पक्षों का जोड़ लगाने पर वह बराबर होना चाहिए। 

अगर दोनों पक्षों का जोड़ नहीं मिलता है तो दो बातें हो सकती हैं -
  1. हमने जर्नल में दोनों पक्ष में एक समान अमाउंट नहीं डाले हैं।
  2. जर्नल से लेजर में पोस्टिंग करते वक्त कहीं गलती हो गई है जिसे हम ढूंढ कर यानी री चेक करके दूर कर सकते हैं।

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सम्पत्ति (Assets) - व्यापार या व्यवसाय की ऐसी समस्त वस्तुएँ जो व्यापार या व्यवसाय के संचालन में सहायक होती हैं और जिन पर व्यवसायी का स्वामित्व होता है, संपत्ति कहलाती है । ये दो प्रकार की होती हैं -
1. स्थायी सम्पत्तियाँ 2. चालू संपत्तियाँ

स्थायी सम्पत्तियाँ (Fixed Assets) - इनसे आशय उन सम्पत्तियों से है जो व्यवसाय में दीर्घकाल तक रखी जाने वाली होती हैं यानी जिनका लाभ व्यापार में कई वर्षों तक मिलता रहता है और जो पुनः विक्रय के लिए नहीं होती हैं। उदाहरण के लिए ज़मीन (Land), बिल्डिंग, फर्नीचर, कंप्यूटर, वाहन, मशीन आदि।

चालू संपत्तियाँ (Current Assets) - इनसे आशय उन संपत्तियों से है जो आमतौर पर एक वर्ष से कम समय में उपयोग की जाती हैं यानी जो लंबे समय तक व्यापार में नहीं रहती हैं। जैसे नकदी या जिन्हें आसानी से नकदी में बदला जा सके। जैसे देनदार (Debtors), बैंक बैलेंस, स्टॉक इत्यादि।

दायित्व (Liabilities) - वे सभी ऋण (Loan) जो व्यापार को अन्य व्यक्तियों अथवा अपने स्वामी या स्वामियों को चुकाने होते हैं दायित्व यानी Liabilities कहलाते हैं ।
ये दो प्रकार के होते हैं - 
1. स्थायी दायित्व (Fixed Liabilities) 2. चालू दायित्व (Current Liabilities)

स्थायी दायित्व (Fixed Liabilities) से आशय ऐसी देनदारियों से है जिनका भुगतान दीर्घकाल के पश्चात या व्यापार की समाप्ति पर करना होता है, जैसे - दीर्घकालीन ऋण (Long Term Loan), पूँजी (Capital), बिल्डिंग या लैंड को गिरवी रख कर बैंक से लिया हुआ Long Term Loan इत्यादि।

चालू दायित्व (Current Liabilities) से आशय ऐसी देनदारियों से है जिनका भुगतान निकट भविष्य में करना हो। प्रायः ये 1 साल से कम समय में चुकाना होती हैं यानी ये अस्थाई होती हैं और व्यापार संचालन में घटती-बढ़ती रहती हैं।
जैसे - अल्पकालीन ऋण (Short Term Loan), लेनदार (Creditors) Bank Loan,CC Limit (कैश क्रेडिट लिमिट) आदि।

आय (Income) - एक व्यक्ति या संगठन की आय यानी Income वह धन (Money) है जो वे कमाते हैं या प्राप्त करते हैं। वैसे आय एक व्यापक शब्द है। इसमें लाभ (Profit) भी शामिल रहता है । 
आय दो प्रकार की होती है -

1. प्रत्यक्ष आय (Direct Income) - इसके अंतर्गत ऐसी सभी प्राप्तियाँ आती हैं जो हमारे मुख्य कार्य से प्राप्त होती हैं। जैसे व्यापार की स्थिति में यदि आप कुछ बेच रहे हैं तो उसका जो भी मूल्य प्राप्त हो रहा है वह direct income में आएगा।

2.अप्रत्यक्ष आय (Indirect Income) - मुख्य व्यवसाय के अलावा जो भी इनकम होती है वह अप्रत्यक्ष आय (Indirect Income) कहलाती है।

व्यय (Expenses)- एक व्यक्ति या संगठन का व्यय यानी Expenses वह धन (Money) है, जो हम अपने काम के दौरान कुछ करते हुए खर्च करते हैं। 

व्यय (Expenses) यह भी दो प्रकार का होता है -

1. प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expenses)- इसके अंतर्गत हमारे मुख्य कार्य से सम्बन्धित जो भी सीधे खर्च होते हैं वे आते हैं। जैसे व्यापार की स्थिति में यदि आप बेचने के लिए कुछ खरीदते हैं या खरीदे हुए माल पर सीधे कोई खर्च करते हैं तो उस पर जो धन खर्च होता है, वह प्रत्यक्ष व्यय यानी Direct Expenses कहलाता है।

2. अप्रत्यक्ष व्यय (Indirect Expenses)- इनका संबंध वस्तु के क्रय या उसके निर्माण से ना होकर वस्तु की बिक्री या कार्यालय व्यय से संबंधित होता है। सरल शब्दों में कह सकते हैं मुख्य व्यवसाय से सम्बन्धित जो भी सीधे खर्च होते हैं उनको छोड़कर शेष सभी खर्च इसके अंतर्गत आते हैं।

खातों के प्रकृति के अनुशार Trial Balance Sheet उदाहरण:-

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Trading and Profit & Loss A/c क्या होता है तथा Trial Balance के आधार पर इसे कैसे बनाते हैं?


Trading and Profit & Loss Account


यह भी अन्य अकाउंट्स की तरह ही एक प्रकार का अकाउंट है। सुविधा की दृष्टि से हम इसे दो भागों में बांट सकते हैं -
(i) Trading Account (ii) Profit and Loss Account

व्यापार खाता (Trading Account): - यह वह खाता है जो व्यापार के सकल लाभ (Gross Profit) और सकल हानि (Gross Loss) मालूम करने के लिए बनाया जाता है। 
इस खाते में व्यापार में हुई खरीद, बिक्री, प्रारंभिक स्टॉक, अंतिम स्टॉक और सभी प्रत्यक्ष व्यय (Direct Expenses) शामिल किए जाते हैं।

Stock:- किसी भी व्यवसाय में वर्तमान में हमारे पास किसी भी मात्रा में, जो माल उपलब्ध है वह Stock कहलाता है। वर्ष के अंत में जो माल बिना बिका रह जाता है वह उस वर्ष का Closing Stock कहलाता है और अगले साल के लिए वही माल Opening Stock कहलाता है।

Gross Profit:-

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Gross Loss:-

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लाभ-हानि खाता (Profit & Loss Account) : - व्यापार खाता बनाने के बाद लाभ-हानि खाता बनाया जाता है और इससे व्यापार के शुद्ध लाभ (Net Profit) या शुद्ध हानि (Net Loss) को निकाला जाता है।

इसमें हम, व्यापार खाते में जो भी अकाउंट ले चुके हैं उनको छोड़कर, Income और Expenses के शेष सभी खाते लेते हैं यानी Indirect Income और Indirect Expenses के सभी खाते इसमें लिए जाते हैं, और इससे प्राप्त शुद्ध लाभ या शुद्ध हानि पूंजी खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।


बैलेंस शीट (Balance Sheet) : Balance sheet kya hota hai example | बैलेंस शीट बनाने का तरीका | बैलेंस शीट फॉर्मेट इन हिंदी | बैलेंस शीट की परिभाषा


बैलेंस शीट एक निश्चित तारीख को तैयार किया जाने वाला ऐसा स्टेटमेंट है, जिसमें एक ओर व्यवसाय की पूंजी (Capital) और दायित्वों (Liabilities) को तथा दूसरी ओर संपत्तियों (Assets) को एक निश्चित प्रारूप और क्रम में दर्शाया जाता है। इसे प्रायः वर्ष समाप्ति पर बनाया जाता है।

बैलेंस शीट बनाने के लिए कुछ मुख्य बातें या बैलेंस शीट बनाने का तरीका :-

(1) अभी तक हम जहां भी काम कर रहे थे व
वहां डेबिट और क्रेडिट ऊपर लिखा होता था पर बैलेंस शीट में इस तरह नहीं लिखा जाता है।

(2) इसमें लेफ्ट साइड में Liabilities के सभी खाते और राईट साइड में Assets के सभी खाते एक निश्चित क्रम में लिखे जाते हैं।

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आशा करता हूं आप :- तलपट क्या है | ट्रायल बैलेंस क्या है (What is Trial Balance) | Trading and Profit & Loss A/c क्या होता है तथा Trial Balance के आधार पर इसे कैसे बनाते हैं? | Balance sheet kya hota hai example | बैलेंस शीट बनाने का तरीका | बैलेंस शीट फॉर्मेट इन हिंदी | बैलेंस शीट की परिभाषा

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